मित्रता होना आसान हे ,मगर मित्र होना दूसरी बात हे , हमारी मित्रता बहुत लोगों से होसकती हे पर मित्र सब नहीं होते !
Selfishness
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apni vaani ki dhaar ko chupane ka prayas ve karte hain, jinka kuchh nihit swarth hota hai.
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश